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विश्व हिंदी दिवस: 20 देशों के 300 छात्र सीख रहे हिंदी, गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में लग रहीं अतिरिक्त कक्षाएं

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विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने बताया वियतनाम, श्रीलंका, लॉउस, थाईलैंड, वर्मा के साथ दक्षिण एशिया के कई देशों के छात्र बुद्ध स्टडीज में पढ़ाई कर रहे हैं। इसके साथ ही पीएचडी भी कर रहे हैं। हिंदी वैश्विक स्तर पर तेजी से मौजूदगी दर्ज करा रही है। इसकी एक बानगी यूं है कि विवि में 20 से अधिक देशों के छात्रों के लिए विशेष कक्षाओं का संचालन किया जाता है। इसमें करीब 300 से अधिक बोलचाल की हिंदी सीखते हैं विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने बताया वियतनाम, श्रीलंका, लॉउस, थाईलैंड, वर्मा के साथ दक्षिण एशिया के कई देशों के छात्र बुद्ध स्टडीज में पढ़ाई कर रहे हैं। इसके साथ ही पीएचडी भी कर रहे हैं। इनमें 20 से 45 साल तक के आयुवर्ग के लोग शामिल हैं। इन सबके लिए हिंदी की विशेष कक्षाएं संचालित कराई जाती हैं। जिसमें उन्हें बोलचाल में प्रयोग होने वाली हिंदी सिखाई जाती है। हिंदी को सीखना रोचक है। दोस्तों के साथ हिंदी में ही बात करती हूं। -नगुयेन मोंग थाओ नगुयेन, छात्रा विदेशी छात्रों के लिए हिंदी की विशेष कक्षाएं विश्वविद्यालय संचालित की जाती हैं, जिससे उन्हें बोलचाल की हिंदी का ज्ञान हो सके। यह उन्हें पढ़ाई में मदद करता है। -डॉ. विश्वास त्रिपाठी, कुलसचिव, जीबीयू

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में “इनोवेटर्स मीट” का आयोजन ।

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आज गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूशन्स इनोवेशन काउंसिल IIC-GBU द्वारा “इनोवेटर्स मीट” का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य नवाचार, उद्यमिता, और स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग एवं ग्रांट्स के अवसरों पर चर्चा करना था। इस आयोजन का नेतृत्व गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर रविंद्र कुमार सिन्हा के मार्गदर्शन में किया गया।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता इंजीनियर नरिंदर सिंह जस्सल, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-सीएसआईओ सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स ऑर्गनाइजेशन, चंडीगढ़ थे। उन्होंने प्रिज्म योजना (Promoting Innovations in Individuals, Start-ups and MSMEs) के तहत स्टार्टअप्स और इनोवेटर्स के लिए 10 लाख रुपये से 70 लाख रुपये तक की अशर्त अनुदान राशि के बारे में जानकारी दी।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविंद्र कुमार सिन्हा ने इनोवेटर्स को प्रेरित करते हुए कहा कि भारत में स्टार्टअप्स के लिए एक सशक्त पारिस्थितिकी तंत्र eco-system विकसित हो रहा है और युवा इनोवेटर्स को इसका लाभ उठाना चाहिए।कार्यक्रम की मुख्य बातें14 इनोवेटर्स ने अपने विचार प्रस्तुत किए, जिनमें मुख्य रूप से मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, बायोटेक्नोलॉजी, और कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के क्षेत्र शामिल थे। इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और रोबोटिक्स से जुड़े विचार भी शामिल थे।इंजीनियर जस्सल ने इनोवेटर्स के विचारों की सराहना की और उन्हें प्रिज्म योजना के तहत अनुदान दिलाने का आश्वासन दिया।डॉ. विशाल सुरेश चंदाने, वैज्ञानिक, बिजनेस डेवलपमेंट ग्रुप, सीएसआईओ, और डॉ. नवदीप सिंह, निदेशक, वर्ल्ड स्पेस काउंसिल, कुरुक्षेत्र, ने भी इनोवेटर्स को अपने विचारों को वास्तविकता में बदलने के लिए मार्गदर्शन दिया।डॉ. शक्ति साही, प्रमुख, आईपीआर सेल, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ने भारत में पेटेंट के महत्व और उनके लिए उपलब्ध अनुदान अवसरों पर प्रकाश डाला।डॉ. सतीश के मित्तल, प्रमुख, एआईसी-जीबीयू इनक्यूबेशन सेंटर, ने उत्तर प्रदेश और भारत सरकार की विभिन्न अनुदान योजनाओं की जानकारी दी।सम्मानित अतिथियों की उपस्थिति कार्यक्रम में डॉ. इंदु उप्रेती, डीन प्लानिंग एंड रिसर्च, डॉ. कीर्ति पाल, डीन, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, डॉ. ओमबीर सिंह दहिया, प्रमुख, अर्थशास्त्र विभाग, और अन्य प्रतिष्ठित फैकल्टी सदस्यों एवं छात्रों ने भाग लिया।कार्यक्रम का समन्वय डॉ. निधि पाल सिंह, वरिष्ठ फैकल्टी, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, जीबीयू द्वारा सफलतापूर्वक किया गया।“इनोवेटर्स मीट” ने न केवल छात्रों और शोधार्थियों को नवाचार और उद्यमिता के लिए प्रेरित किया बल्कि उन्हें उपलब्ध सरकारी योजनाओं और अनुदान अवसरों के बारे में भी जागरूक किया।

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में साइबर सुरक्षा, ब्लॉकचेन और एआई पर पांच दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय जीबीयू के स्कूल ऑफ इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी यूएसआईसीटी और एसोसिएशन इंडियन यूनिवर्सिटीज एआईयू ने ऑनलाइन मोड में “साइबर सुरक्षा, ब्लॉकचेन और एआई में अनुसंधान के रुझान” पर एक सप्ताह के संकाय विकास कार्यक्रम एफडीपी का आयोजन किया। जागरूकता फैलाने और संकायों और अनुसंधान विद्वानों को सुरक्षित डिजिटल वातावरण के महत्वपूर्ण महत्व को पहचानने के लिए खुद को अपडेट करने में मदद करने के लिए एआईयू के सहयोग से पहली पहल है और इसका उद्देश्य अपने विशाल ऑनलाइन समुदाय की सुरक्षा करना है। उद्घाटन सत्र में प्रमुख संरक्षक एआईयू की नोडल अधिकारी डॉ. निधि पाल, डीन यूएसआईसीटी डॉ. अर्पित भारद्वाज, प्रोफेसर संजय कुमार शर्मा, सीएसई के एचओडी डॉ. अरुण सोलंकी, आईटी की एचओडी डॉ. नीता सिंह, डॉ. बरखा, डॉ. और सुशील ने मां सरस्वती का दीप प्रज्ज्वलित किया । प्रो. संजय शर्मा अपने शब्दों का ज्ञान देते हुये आज की दुनिया में इस एफडीपी के महत्व के बारे में प्रतिभागियों को प्रेरित किया और साइबर सुरक्षा प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नवाचारों के महत्व के बारे में बात की। डॉ.अर्पित भारद्वाज प्रयासों की सराहना करते हैं और इस एफडीपी के सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं दी। डॉ. निधि पाल एआईयू और इसकी कार्यप्रणाली के बारे में संक्षेप में बताती हैं। इस एफडीपी के आयोजकों में से एक डॉ. आरती गौतम दिनकर ने एफडीपी के कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया। यह एक सप्ताह का एफडीपी सत्र आयोजित करेगा और जो विशेषज्ञ इन सत्रों को लेंगे, वे डीआरडीओ, एनआईसी, सी-डैक, जेएनयू जैसे विभिन्न प्रतिष्ठित संगठनों से जुड़े हुए हैं। सीआईपीएल मुंबई, डीटीयू, जेएनयू और जीबीयू। इस एफडीपी में सत्र ऑनलाइन मोड में आयोजित किए जाएंगे। विश्वविद्यालय परिसर में इस पहल में मदद करने और पहल करने के लिए एआईयू की नोडल अधिकारी डॉ. निधि पाल और डॉ इंदु उप्रेती को विशेष धन्यवाद। लिया। पहले दिन, कार्यक्रम में साइबर सुरक्षा और डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम-2023 पर परिचयात्मक सत्रों सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई। C-DAC के विशेषज्ञ रेखा सारस्वत ने विभिन्न प्रकार के साइबर हमलों के बारे में जानकारी प्रदान की, जिसमें मैलवेयर, इसके लक्षण और हमलावरों की मानसिकता शामिल थी। एनआईसी के विशेषज्ञ ने डॉस DoS और डीडीओएस DDoS हमलों जैसे विभिन्न हमलों, क्लाउड कंप्यूटिंग सुरक्षा पर चर्चा की गई, जिनमें उनके प्रभाव और निवारण तकनीकों पर प्रकाश डाला गया। अंत में इस एफडीपी के आयोजक डॉ. राजू पाल ने इस एफडीपी के सफल आयोजन के लिए शामिल सभी गणमान्य व्यक्तियों, प्रतिभागियों, संकाय आयोजक टीम, संकाय समन्वयकों, आईटी सहायता टीम, गैर-शिक्षण कर्मचारियों को धन्यवाद दिया। की। इस प्रकार के आयोजन, शैक्षिक पेशेवरों को साइबर सुरक्षा के बढ़ते और बदलते संकटों का सामना करने के लिए सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस कार्यक्रम में छात्र वालंटियर और कई अन्य छात्रों ने भाग लिया।

जीबीयू में नव वर्ष मिलन समारोह का आयोजन।

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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में नव वर्ष के उपलक्ष्य में एक भव्य मिलन समारोह का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविन्द्र कुमार सिन्हा और कुलसचिव डॉ. विश्वास त्रिपाठी के दिशा-निर्देश में आयोजित किया गया। समारोह में विश्वविद्यालय के शिक्षकगण एवं कर्मचारीगण ने बड़ी संख्या में भाग लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम के दौरान कुलपति प्रो. सिन्हा ने 2024 में विश्वविद्यालय की विभिन्न उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने विशेष रूप से निम्नलिखित महत्वपूर्ण उपलब्धियों का उल्लेख किया: एआई केंद्र के लिए आवंटित 50 करोड़ रुपये में से 25 करोड़ रुपये विश्वविद्यालय कोष में स्थानांतरित किए गए, आईबीएम के सहयोग से डेटा साइंस और बिज़नेस एनालिटिक्स कार्यक्रम की शुरुआत, अमेरिका के डायटन विश्वविद्यालय के साथ मिलकर ऑल्टो-इलेक्ट्रॉनिक्स की पढ़ाई की शुरुआत, विश्वविद्यालय में रिकॉर्ड संख्या में नामांकन, डीजीसीए द्वारा ड्रोन ट्रेनिंग पायलट सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार प्राप्त होना।इसके अलावा, पहली बार विश्वविद्यालय में शिक्षक और कर्मचारियों की पदोन्नति प्रक्रिया प्रारंभ की गई, जिसके लिए सभी ने कुलपति और कुलसचिव को आभार प्रकट किया।इस आयोजन ने विश्वविद्यालय परिवार के बीच आपसी संबंधों को और मजबूत किया। कार्यक्रम में शिक्षकों और कर्मचारियों ने नव वर्ष के लिए नए उत्साह और प्रतिबद्धता के साथ काम करने का संकल्प लिया।

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय की 2024 की उपलब्धियां : शिक्षा, शोध और नवाचार के नए आयाम

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उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (जीबीयू) ने 2024 में शिक्षा, शोध और नवाचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। कुलपति प्रो सिंहा ने कुछ प्रमुख उपलब्धियों को बताया जैसे: 1. साइबर सुरक्षा प्रयोगशाला और ड्रोन प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना: जीबीयू ने साइबर सुरक्षा प्रयोगशाला और ड्रोन प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की है। इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय को भारतीय नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए), भारत सरकार के माध्यम से ड्रोन पायलट प्रशिक्षु प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार प्राप्त हुआ है। यह पहल छात्रों को इन उभरती हुई प्रौद्योगिकियों में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है, जो भविष्य की कार्यबल आवश्यकताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। 2. कृत्रिम बुद्धिमत्ता केंद्र की स्थापना और उद्योग सहयोग: उत्तर प्रदेश सरकार ने विश्वविद्यालय परिसर में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) केंद्र स्थापित करने के लिए 50 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी, जिसमें से 50% अर्थात 25 करोड़ की राशि जारी की जा चुकी है। यह वित्तीय समर्थन, माइक्रोसॉफ्ट, एचसीएल जैसे उद्योगों के सहयोग से विश्वविद्यालय को ए.आई. के क्षेत्र में एक उन्नत केंद्र स्थापित करने में मदद करेगा, जो शोध और नवाचार को बढ़ावा देगा और छात्रों को इस उभरते हुए क्षेत्र में कौशल विकास का अवसर प्रदान करेगा। 3. 14 नए शैक्षिक कार्यक्रमों की शुरुआत: 2024 में विश्वविद्यालय ने 14 नए शैक्षिक कार्यक्रमों की शुरुआत की है, जिनमें बीएससी (फोरेंसिक विज्ञान), एलएलएम (पार्ट-टाईम), एमटेक (सिविल इंजीनियरिंग - पार्ट-टाईम) और अन्य कार्यक्रम शामिल हैं। इसके साथ ही, विश्वविद्यालय ने एनसीटीई द्वारा अनुमोदित आईटीईपी (इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम) कार्यक्रमों जैसे बीए -बीएड, बीएससी-बीएड और बीकॉम-बीएड की पेशकश की। इनमें से बीएससी-बीएड सबसे अधिक लोकप्रिय कार्यक्रम के रूप में उभरा है। विश्वविद्यालय को आईटीईपी कार्यक्रम सभी धाराओं में ऑफर करने की अनुमति प्राप्त है, और इसी वर्ष आईटीईपी कार्यक्रम की अखिल भारतीय समीक्षा बैठक भी विश्वविद्यालय में आयोजित की गई थी। 4. आईबीएम के साथ ज्ञान प्रसार: विश्वविद्यालय ने आईबीएम जैसे वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ मिलकर डेटा विज्ञान, बिजनेस एनालिटिक्स, और एआई-मशीन लर्निंग में सहयोगात्मक कार्यक्रमों की पेशकश की। यह सहयोग छात्रों को उद्योग विशेषज्ञों से सीखने और भविष्य की नौकरियों के लिए आवश्यक कौशल प्राप्त करने का मौका प्रदान करता है। 5. विश्वविद्यालय का विश्वविद्यालय डे टन के साथ सहयोग: जीबीयू ने अमेरिका के विश्वविद्यालय डे टन के साथ भी साझेदारी की है, ताकि ऑप्टो-इलेक्ट्रॉनिक्स और संबंधित विषयों में संयुक्त शिक्षण की पेशकश की जा सके और पिछले सत्र में डायटन विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने ऑनलाइन लेक्चर दिया भी। इस सहयोग से छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्नत प्रौद्योगिकियों के बारे में जानकारी और अनुभव प्राप्त होगा, जो उन्हें वैश्विक करियर के अवसरों के लिए तैयार करेगा। 6. मूल्यवर्धित कार्यक्रमों की शुरुआत: इस वर्ष विश्वविद्यालय ने संगीत और नृत्य, प्रदर्शन कला, वेदों का विज्ञान, हिन्दू अध्ययन जैसे मूल्यवर्धित कार्यक्रमों की भी शुरुआत की। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य छात्रों को सांस्कृतिक जागरूकता, समग्र विकास और पारंपरिक ज्ञान को बढ़ावा देना है। 7. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और सत्रों का आयोजन: GBU ने इस वर्ष कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों, कार्यशालाओं और आमंत्रित व्याख्यानों का आयोजन किया। विश्वविद्यालय ने कई प्रमुख शैक्षिक संस्थानों और उद्योगों के साथ समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर भी हस्ताक्षर किए, जिससे छात्रों और शिक्षकों के लिए शोध और सहयोग के अवसर बढ़े।

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय की एनसीसी कैडेट मानसी का गणतंत्र दिवस कैंप (आरडीसी) के लिए चयन

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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय की छात्रा और 31 यूपी गर्ल्स बटालियन की एनसीसी कैडेट मानसी का चयन दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह 2025 के दौरान होने वाले गार्ड ऑफ ऑनर के लिए हुआ है। मानसी को गणतंत्र दिवस कैंप (आरडीसी) 2025 के लिए उत्तर प्रदेश (यूपी) दल से चुना गया है। वह 31 यूपी गर्ल्स बटालियन से गार्ड ऑफ ऑनर के लिए चुनी जाने वाली एकमात्र कैडेट हैं तथा प्रशिक्षण के लिए दिल्ली में होने वाले एक महीने के गणतंत्र दिवस कैंप (आरडीसी) में शामिल होंगी। मानसी जीबीयू में बीएससी केमिस्ट्री ऑनर्स की छात्रा हैं । जीबीयू की एनसीसी सीटीओ डॉ भावना जोशी ने बताया कि मानसी का आरडीसी के लिए चयन होना विश्वविद्यालय के लिए अत्यंत गर्व का विषय है और यह पहली बार है कि विश्वविद्यालय के एनसीसी कैडेट का इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय स्तर के कैंप के लिए चयन हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि गणतंत्र दिवस कैंप में शामिल होना हर कैडेट का सपना होता है और देश भर से चंद सौभाग्यशाली कैडेट्स को ही यह मौका मिलता है। आरडीसी में शामिल होने के लिए कैडेट्स एक लंबी और कठिन चयन प्रक्रिया से गुजरते हैं। सबसे पहले बटालियन से सर्वश्रेष्ठ कैडेट्स इंटर बटालियन चयन में हिस्सा लेते हैं । इसके बाद निदेशालय स्तर पर इंटर ग्रुप कैंपस (आईजीसी) में चयन प्रक्रिया में प्रतिभाग करते हैं जिसमें तीन स्तर का प्रशिक्षण और चयन होता है । इसके बाद अंतिम रूप से चयनित कैडेट्स को प्रीआरडीसी में चयन प्रक्रिया से आरडीसी के लिए चुना जाता है। प्रभारी छात्र कल्याण डॉ मनमोहन सिंह शिशोदिया ने कैडेट के समर्पण और कठिन परिश्रम की सराहना की और कैडेट को गणतंत्र दिवस कैंप के लिए चयन होने की बधाई देते हुए प्रशिक्षण कैंप के लिए शुभकामनाएं दी ।

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में 10 दिवसीय रिसर्च मेथोडोलॉजी कोर्स (आरएमसी) का छठवां दिन

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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में 10 दिवसीय रिसर्च मेथोडोलॉजी कोर्स (आरएमसी) आज अपने छठे दिन में प्रवेश कर गया, जो अकादमिक उत्कृष्टता और शोध क्षमताओं को बढ़ावा देना जारी रखता है। दिन के सत्रों में विशेषज्ञों के नेतृत्व वाली चर्चाओं की एक आकर्षक श्रृंखला शामिल थी, जिसने उपस्थित संकाय और शोधकर्ताओं के लिए शैक्षणिक यात्रा को और समृद्ध किया। दिन के पहले सत्र, सत्र-I का नेतृत्व प्रो. एस.एम. खान ने "परीक्षण का विकास और मानकीकरण - जनरेटिव ए.आई." विषय पर किया। प्रो. खान ने शैक्षिक और शोध सेटिंग्स में जनरेटिव ए.आई. के क्रांतिकारी प्रभाव की खोज की, परीक्षण पद्धतियों को बढ़ाने की इसकी क्षमता पर जोर दिया। उपस्थित लोगों ने इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की कि कैसे ए.आई. परीक्षण और मूल्यांकन के विकास के तरीके को बदल रहा है, जिससे वे अधिक अनुकूल और व्यक्तिगत बन रहे हैं। सत्र-2 में, जिसका संचालन भी प्रो. एस.एम. खान ने किया, फोकस वर्णनात्मक सांख्यिकी, विशेष रूप से सामान्यता के परीक्षण पर केंद्रित था। यह सत्र उन शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण था जो डेटा का विश्लेषण करने में उपयोग किए जाने वाले मूलभूत सांख्यिकीय उपकरणों को समझना चाहते थे। प्रो. खान ने सावधानीपूर्वक समझाया कि डेटा वितरण का आकलन कैसे करें, सामान्यता परीक्षण कैसे लागू करें, और ये अंतर्दृष्टि शोध परिणामों को कैसे प्रभावित करती हैं। दिन का अंतिम सत्र, सत्र-III, प्रो. गौरव गर्ग द्वारा संचालित किया गया, जिसमें गैर-पैरामीट्रिक परीक्षणों पर विशेष जोर देते हुए, अनुमानात्मक सांख्यिकी पर ध्यान केंद्रित किया गया। प्रो. गर्ग ने गैर-सामान्य रूप से वितरित डेटा से निपटने के लिए आवश्यक अनुमानात्मक सांख्यिकी तकनीकों पर गहन जानकारी प्रदान की। यह सत्र उन प्रतिभागियों के लिए एक अमूल्य संसाधन साबित हुआ, जो अपने सांख्यिकीय विश्लेषण कौशल को मजबूत करना चाहते थे, खासकर गैर-पैरामीट्रिक डेटा सेट के साथ काम करते समय। 9 दिसंबर, 2024 को आयोजित सत्रों में प्रतिभागियों को उन्नत सांख्यिकीय विधियों, शोध में एआई की भूमिका और अकादमिक सफलता के लिए महत्वपूर्ण डेटा विश्लेषण तकनीकों की व्यापक समझ प्रदान की गई। जैसे-जैसे आरएमसी कार्यक्रम जारी रहेगा, प्रतिभागियों को अपने स्वयं के शोध को बेहतर बनाने के लिए इन पद्धतियों का उपयोग करने का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होगा।

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जीबीयू के 160 पाठ्यक्रम पर प्रवेश शुरू, 10 नए पाठ्यक्रम जोड़े
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया शुरू, 10 नए पाठ्यक्रम किये शामिल
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2025-26 प्रवेश प्रक्रिया प्रारम्भ ।
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय शैक्षणिक सत्र 2025-26 में कुल 4,360 सीटों के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू
जीबीयू के नए कुलपति प्रो. राणा प्रताप के पास है 31 वर्षों के शोध का अनुभव