गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में गांधी जयंती और लाल बहादुर शास्त्री जयंती का समारोह धूमधाम से मनाया गया। इस वर्ष देश अपने महान सपूतों गांधी जी की 155वीं एवं लाल बहादुर शास्त्री जी की 120वीं जयंती मना रहा है। गांधी जयंती और लाल बहादुर शास्त्री जयंती का महत्व आज के संदर्भ में अत्यधिक प्रासंगिक है, जब शांति ईमानदारी और समर्पण के मूल्य अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं। महात्मा गांधी, जो अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों के लिए जाने जाते हैं, नागरिक अधिकारों और सामाजिक न्याय के वैश्विक आंदोलनों को प्रेरित करते हैं। बढ़ती हिंसा और विभाजन के इस युग में, उनकी शिक्षाएँ संवाद और समझ की आवश्यकता को उजागर करती हैं, यह याद दिलाते हुए कि शांतिपूर्ण प्रतिरोध transformative परिवर्तन ला सकता है। इसी प्रकार, लाल बहादुर शास्त्री की सरलता, नेतृत्व और राष्ट्रीय प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता का महत्व आज भी कायम है। उनका प्रसिद्ध नारा "जय जवान, जय किसान" हमारे सैनिकों और किसानों के प्रति समर्थन के महत्व को उजागर करता है, जो आज के राष्ट्रीय सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा के चर्चाओं में गूंजता है। जलवायु परिवर्तन के और आर्थिक विषमताओं जैसे चुनौतियों के बीच, शास्त्री का परिश्रम और आत्मनिर्भरता पर जोर हमें एकजुटता और सहनशीलता के लिए प्रेरित करता है। इन महापुरुषों की जयंती मनाना न केवल उनके योगदान को सम्मानित करता है, बल्कि हमें उनके मूल्यों को अपने दैनिक जीवन में आत्मसात करने के लिए प्रेरित करता है, ताकि हम एक अधिक न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और मजबूत समाज का निर्माण कर सकें। उनके जीवन की विरासत हमें एक बेहतर भविष्य की दिशा में सामूहिक रूप से कार्य करने के लिए चुनौती देती है, जिससे उनके जन्मदिन विचार और क्रिया के महत्वपूर्ण अवसर बन जाते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रविन्द्र कुमार सिन्हा, अन्य अधिकारियों, शिक्षक सदस्यों और कर्मचारियों द्वारा महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित करके की गई। स्वच्छता ही सेवा' विषय पर एक नाटक का आयोजन विश्वविद्यालय परिसर में 'स्वच्छता पखवाड़ा' अभियान के समापन के लिए किया गया। इस नाटक का उद्देश्य छात्रों और faculty के बीच स्वच्छता के महत्व को उजागर करना था। नाटक में विभिन्न पात्रों के माध्यम से स्वच्छता के लाभ, प्रदूषण की समस्या और हर किसी की जिम्मेदारी को दर्शाया गया । छात्रों ने अपने संवादों के जरिए यह संदेश दिया कि सफाई केवल सरकार या किसी संस्था का काम नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है। कार्यक्रम के अंत में, सभी प्रतिभागियों ने मिलकर परिसर को साफ-सुथरा रखने का संकल्प लिया। इस नाटक ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सभी ने मिलकर एक स्वच्छ और हरा-भरा विश्वविद्यालय बनाने का प्रण लिया। एनएसएस के सौजन्य से यह नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति निम्न छात्र एवं छात्राओं बी किया जिनके नाम हैं: सोलंकित, तृप्ति, शिखा, शशि शेखर, कमल, मितांशी, एवं अनन्या । इस अवसर पर कुलपति ने दोनों महान सपूतों के जीवन और विचारों पर प्रकाश डाला और उपस्थित शिक्षकों, छात्रों एवं कर्मचारियों को उनके अनुकरणीय जीवन से प्रेरणा लेने की अपील की। उन्होंने कहा, "गांधी जी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांत हमें आज भी प्रेरित करते हैं, जबकि शास्त्री जी का 'जय जवान, जय किसान' का नारा हमारे देश के विकास में महत्वपूर्ण है।" इस कार्यक्रम में कुलपति प्रो सिन्हा के अलावा विश्वविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी एवं छात्र उपस्थित थे।