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जीबीयू के नए कुलपति प्रो. राणा प्रताप के पास है 31 वर्षों के शोध का अनुभव

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जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा: प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं जीबीयू के कुलाधिपति योगी आदित्यनाथ ने जेएनयू के प्रो. राणा प्रताप सिंह को गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय (जीबीयू) का नया कुलपति नियुक्त किया है। नए कुलपति प्रो. राणा प्रताप सिंह के पास 24 वर्षों का शिक्षण और 31 वर्षों के शोध का अनुभव है। उन्होंने शैक्षणिक गतिविधियों के लिए आठ देशों का दौरा किया है। साथ ही 22 पीएचडी, 13 एमफिल का पर्यवेक्षण किया है। यही नहीं उनके पास प्रशासनिक अनुभव भी है। वह जेएनयू में 2017 से 22 तक प्रो- वाइस चांसलर के रूप में कार्यरत रहे हैं। इंस्टीट्यूशनल इनोवेशन काउंसिल के अध्यक्ष और जेएनयू में भर्ती, संपदा, बुनियादी ढांचे और अनुसंधान एवं विकास आदि के प्रभारी के रूप में कार्य का प्रशासनिक अनुभव भी है। नवनियुक्त कुलपति प्रो. राणा प्रताप सिंह ने मंगलवार को पद संभाल लिया है। उन्होंने बताया कि उनकी प्राथमिकता एकेडमिक व रिसर्च को बढ़ावा देना होगा, जिसमें उनका लंबा अनुभव काम आएगा । प्रो. राणा प्रताप सिंह ने स्तन कैंसर पर एक पुस्तक भी लिखी है। साथ ही 100 से अधिक व्याख्यान दिए हैं। इनमें से विदेश में दिए गए 18 व्याख्यान भी शामिल हैं। 15 अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं के संपादकीय बोर्ड के सदस्य के रूप में और कई अनुसंधान परियोजनाओं के लिए काम किया है। उनके नाम पर तीन पेटेंट दायर किए गए हैं। इविंग क्रिश्चियन कालेज इलाहाबाद से प्रो. राणा प्रताप सिंह ने बीएससी व एमएसी की। इसके बाद वर्ष 1993 में उन्होंने जेएनयू से जीव विज्ञान में डिग्री और वर्ष 2000 कैंसर जीव विज्ञान में पीएचडी की। फार्मास्युटिकल साइंसेज विभाग, कोलोराडो डेनवर विश्वविद्यालय अमेरिका में वर्ष 2003 में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत रहे। वर्ष 2006 में जेएनयू में स्कूल आफ लाइफ साइंसज संकाय में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में सेवा दी। 2010 में केंद्रीय विश्वविद्यालय गुजरात में प्रतिनियुक्ति पर प्रोफेसर रहे और 2012 में दोबारा जेएनयू में वापसी हुई।

पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा घोषित करना एक महत्वी़पूर्ण कदम है, जो प्रधानमंत्री मोदी की भगवान बुद्ध की विरासत के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। डॉ अनिर्बन गांगुली

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ग्रेटर नोएडा।गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन एवं सभ्यता विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला “सूत्त पिटक पाली में बौद्ध सामाजिक नैतिक दृष्टिकोण” का आज समापन हुआ। इस कार्यशाला में देशभर से प्रतिष्ठित विद्वानों ने भाग लिया और बौद्ध दर्शन, सामाजिक न्याय तथा समकालीन समाज में इसकी प्रासंगिकता पर विचार विमर्श किया।कार्यशाला के दूसरे दिन दो अकादमिक सत्र आयोजित किए गए। प्रथम सत्र: “सूत्त पिटक पाली में बौद्ध सामाजिक दर्शन” इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. प्रदीप घोकला पुणे विश्वविद्यालय ने की। उन्होंने डॉ. बी.आर. आंबेडकर के बौद्ध धर्म की ओर आकर्षण एवं बौद्ध धर्म में न्याय की अवधारणापर चर्चा की। इसके बाद, प्रो. एच.पी. गंगनेगी ने बौद्ध धर्म के विभिन्न मतों, महायान दर्शन एवं तांत्रिक बौद्ध परंपरा में विभिन्न प्रतिमाओं की व्याख्या की। प्रो. उमा चक्रवर्ती, जो एक प्रतिष्ठित बौद्ध विदुषी हैं, ने बौद्ध धर्म में महिलाओं की स्थिति पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए।द्वितीय सत्र: “बौद्ध धर्म की वैश्विक प्रासंगिकता एवं सामाजिक सरोकार”इझझंस सत्र में प्रो. स्वरूपा रानी आचार्य नागार्जुन विश्वविद्यालय ने दक्षिण एवं उत्तर भारत के उन सामाजिक बौद्ध नेछताओं पर प्रकाश डाला, जिनके योगदान को अपेक्षित पहचान नहीं मिली। इसके बाद, प्रो. एन. सुकुमार दिल्ली विश्वविद्यालय ने बुद्ध को सभी महान नेताओं का अग्रदूत बताया और यह प्रेरणादायक विचार प्रस्तुत किया कि महात्मा गांधी और डॉ. आंबेडकर ने बुद्ध की शिक्षाओं को ही आगे बढ़ाया। डॉ. प्रवीण कुमार सुभारती विवेकानंद विश्वविद्यालय ऐने महायान दर्शन की गूढ़ अवधारणाओं पर चर्चा की, जबकि डॉ. चंद्र कीर्ति ने डॉ. आंबेडकर के विचारों की वर्तमान सामाजिक संदर्भ में प्रासंगिकता पर बल दिया। समापन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. अनिर्बान गांगुली अध्यक्ष, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत और विश्व में भगवान बुद्ध की विरासत के संरक्षण और संवर्धन हेतु किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार एवं तीसरी बार शपथ ग्रहण के 10 दिनों के भीतर इसका उद्घाटन एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इसके अलावा, पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा घोषित करना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो प्रधानमंत्री मोदी की भगवान बुद्ध की विरासत के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।डॉ. गांगुली ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल इन ऐतिहासिक मांगों को पूरा किया है, बल्कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के स्वप्न को भी साकार किया है। उन्होंने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और उनके पिता अशुतोष मुखर्जी के बौद्ध एवं पाली अध्ययन को बढ़ावा देने में दिए योगदान को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पाली भाषा वैश्विक आपसी संबंधों की भाषा है, और भारत का इसमें विशेष स्थान है। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में आयोजित यह कार्यशाला पाली और बौद्ध अध्ययन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।समापन और धन्यवाद ज्ञापनका कर्यशाला का समापन डॉ. शिवसाई द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। समापन सत्र की अध्यक्षता प्रो. श्वेता आनंद ने की, और आयोजन समिति के सदस्यों को मुख्य अतिथि डॉ. गांगुली द्वारा सम्मानित किया गया। इस अवसर पर 100 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभागिता की। कार्यक्रम में प्रमुखता रूप से उपस्थित शिक्षकों में डॉ. अरविंद, डॉ. पासवान, डॉ. मित्रा, डॉ. शाक्य, डॉ. मेश्राम, श्री विक्रम, कन्हैया, संदीप और अजय शामिल थे।

जीबीयू के कुलपति बने प्रो. राणा प्रताप सिंह ने संभाला पदभार

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टर नोएडा, [तारीख] – गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय को यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि प्रो. राणा प्रताप सिंह ने विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में पदभार संभाल लिया है। प्रो. सिंह एक प्रख्यात शिक्षाविद, शोधकर्ता और प्रशासक हैं, जिनके पास शिक्षण का 24 से अधिक वर्षों का अनुभव और 31 वर्षों का शोध अनुभव है, विशेष रूप से कैंसर जीवविज्ञान, ट्यूमर थेरेप्यूटिक्स और समग्र चिकित्सा के क्षेत्र में। इस पद पर नियुक्ति से पहले, प्रो. सिंह ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), नई दिल्ली में प्रो-वाइस चांसलर (रेक्टर) के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने अकादमिक और प्रशासनिक सुधारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में JNU में 2020-21 में स्पेशल सेंटर फॉर सिस्टम्स मेडिसिन की स्थापना और आयुर्वेद बायोलॉजी (BSc-MSc) कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इलाहाबाद के इविंग क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक करने के बाद, उन्होंने 1993 में JNU से M.Sc. और 2000 में कैंसर बायोलॉजी में Ph.D. पूरी की। इसके बाद, उन्होंने AMC कैंसर रिसर्च सेंटर और यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो हेल्थ साइंसेज सेंटर, अमेरिका में पोस्ट-डॉक्टोरल प्रशिक्षण प्राप्त किया। उनके शोध कार्य का मुख्य क्षेत्र ट्यूमर हेटेरोजेनिटी, कैंसर स्टेम सेल्स, रेडियोथेरेपी प्रतिरोध और सेल सिग्नलिंग रहा है। प्रो. सिंह ने अब तक 190 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं, जिनके 15,800 से अधिक उद्धरण हैं और उनका H-इंडेक्स 78 है। उन्होंने 22 पीएचडी और 13 एमफिल छात्रों का मार्गदर्शन किया है, 100 से अधिक आमंत्रित व्याख्यान दिए, और 22 अंतरराष्ट्रीय कैंसर सम्मेलन आयोजित किए। उनकी वैश्विक शोध साझेदारियों में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ सेंटर फॉर इंटीग्रेटिव कैंसर बायोलॉजी एंड थेरेप्यूटिक्स की स्थापना शामिल है।

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय को मिला नया कुलपति, प्रो. राणा प्रताप सिंह संभालेंगे कमान

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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, गौतमबुद्धनगर को नया कुलपति मिल गया है। प्रतिष्ठित कैंसर वैज्ञानिक प्रो. राणा प्रताप सिंह को विश्वविद्यालय का नया कुलपति नियुक्त किया गया है। वे आगामी तीन वर्षों तक इस पद पर कार्य करेंगे। वैज्ञानिक से प्रशासक तक का सफर प्रो. राणा प्रताप सिंह वर्तमान में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), नई दिल्ली में स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। वे शिक्षा और अनुसंधान प्रशासन में एक अनुभवी हस्ती हैं और उन्होंने भारत में कई नए विभागों, स्कूलों और शोध केंद्रों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कैंसर रिसर्च में बड़ा नाम उनका शोध स्टेम सेल, ऑर्गेनोइड्स, डीएनए रिपेयर मैकेनिज्म और माइक्रोग्रैविटी के रेडियोबायोलॉजी पर प्रभाव जैसे विषयों पर केंद्रित है। कैंसर की प्रगति और उपचार पर उनके व्यापक अनुसंधान के चलते उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। उनके 100 से अधिक शोधपत्र Nature, Oxford Academic, Harvard Catalyst और American Association for Cancer Research Journal जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। शैक्षणिक यात्रा और अनुभव प्रो. सिंह ने जेएनयू से कैंसर बायोलॉजी में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इविंग क्रिश्चियन कॉलेज से बी.एससी. और जेएनयू से एम.एससी. किया। वे कोलोराडो विश्वविद्यालय में शोधकर्ता और सहायक प्रोफेसर के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। नई उम्मीदें, नए आयाम गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में उनके नेतृत्व से शैक्षणिक और शोध क्षेत्र में नए आयाम जुड़ने की उम्मीद की जा रही है। उनकी नियुक्ति को विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।

ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने पर काम कर रहे तीन स्टार्टअप, प्रदेश सरकार ने जीबीयू के स्टार्टअप को दिए पांच-पांच लाख रुपये

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टर नोएडा | गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय ( जीबीयू) के तीन स्टार्टअप को यूपी सरकार ने पांच-पांच लाख का फंड दिया है। इन स्टार्टअप में ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की पहल की जा रही है। स्टार्टअप मूल्यांकन कमेटी को इनका आइडिया पसंद आया है। अब इन्हें आगे काम करने के लिए चुना गया है। गौरतलब है कि फरवरी में 10 स्टार्टअप फंडिंग के लिए चुने गए थे। इनमें से तीन जीबीयू के शामिल हैं। तीनों स्टार्टअप अलग- अलग क्षेत्र में काम कर रहे हैं। विवि के कुलसचिव डॉ. विश्वास त्रिपाठी ने बताया कि जीबीयू के इनोवेशन केंद्र में कई स्टार्टअप अलग- अलग समस्याओं को हल करने के लिए काम किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराता है। सौर्य उज्ज्वला प्रा. लि. के प्रोपो टाइप के लिए शासन से फंडिंग मिली है। इसमें ग्रामीणों को सस्ती बिजली मुहैया कराने पर काम किया जा रहा है। वीर कनेक्ट इंडिया एनवायरनमेंट टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है। वाल्स्को टेक्नोलॉजी प्रा.लि. कानूनी दांवपेच में फंसे लोगों की मदद के लिए प्रोपो टाइप तैयार कर रही है।

स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय को मिला ISDC इंटरनेशनल एक्सीलेंस अवार्ड

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ई दिल्ली स्थित प्रतिष्ठित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित इंटरनेशनल स्किल डेवलपमेंट काउंसिल (ISDC) द्वारा पहले *स्किल डेवलपमेंट एवं रिसर्च इनोवेशन समिट* का भव्य उद्घाटन किया गया। समिट की थीम थी – “स्किल डेवलपमेंट एवं रिसर्च इनोवेशन में बदलते आयाम और वैश्विक स्तर पर अंतर को पाटने की दिशा में कदम”। इस समिट के समापन अवसर पर, *स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय*, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश को “ISDC इंटरनेशनल एक्सीलेंस अवार्ड – *बेस्ट बायोटेक रिसर्च इंस्टीट्यूट इन इंडिया*” से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार विश्वविद्यालय के कौशल विकास और अनुसंधान क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देते हुए दिया गया। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय की ओर से, डॉ. नवीन कुमार और डॉ. जय प्रकाश मुयाल ने इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में भाग लिया और स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी का प्रतिनिधित्व किया। वर्तमान में, स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी में 600 से अधिक छात्र विभिन्न पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत हैं, जिनमें डीबीटी वित्तपोषित एम.एससी. बायोटेक्नोलॉजी, एम.एससी. मॉलिक्यूलर मेडिसिन, एम.एससी. माइक्रोबियल बायोटेक्नोलॉजी, इंटीग्रेटेड बी.टेक+एम.टेक. बायोटेक्नोलॉजी, बी.एससी. बायोटेक्नोलॉजी और बी.एससी. फॉरेंसिक साइंसेज शामिल हैं। स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी में उन्नत शोध सुविधाएं, अनुभवी शिक्षक एवं विभिन्न सरकारी वित्तपोषण एजेंसियों द्वारा स्वीकृत शोध परियोजनाएं उपलब्ध हैं, जिनमें आईसीएमआर, डीएसटी, एसईआरबी, सीएसटी-यूपी, डीबीटी जैसी प्रमुख संस्थाएं शामिल हैं। इस कार्यक्रम में स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के लगभग 20 छात्रों ने भाग लिया, जिन्होंने पोस्टर और ओरल प्रेजेंटेशन में अपनी प्रस्तुतियां दीं। हरप्रीत कौर वालिया (PhD, स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी) ने अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए द्वितीय सर्वश्रेष्ठ पोस्टर पुरस्कार प्राप्त किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के डीन, प्रो. एन. पी. मल्कानिया, विभागाध्यक्ष, डॉ. रेखा पुरिया, सभी संकाय सदस्यों एवं गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराई गई अनुसंधान सुविधाओं के प्रति आभार व्यक्त किया। यह उपलब्धि विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों के लिए गर्व का विषय है और अनुसंधान एवं नवाचार के क्षेत्र में नए अवसरों के द्वार खोलती है। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय – एक कदम आगे, नवाचार और सफलता की ओर!

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के आईसीटी स्कूल द्वारा वैज्ञानिक लेखन पर विशेषज्ञ व्याख्यान का हुआ सफलतापूर्वक आयोजन

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आईसीटी स्कूल द्वारा वैज्ञानिक लेखन पर एक विशेषज्ञ व्याख्यान का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिष्ठित वक्ता स्प्रिंगर नेचर की संपादकीय निदेशक स्वाति मेहरिशी और सीएसआईआर-नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज (एनएएल) की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बालामती चौधरी शामिल हुईं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को वैज्ञानिक लेखन की नैतिकता, कार्यप्रणाली और महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में शिक्षित करना था, जिसमें आईसीटी स्कूल के भीतर शोध पत्र प्रकाशनों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।इस कार्यक्रम का समन्वय डॉ. विदुषी शर्मा (एचओडी, ईसीई), डॉ. नीता सिंह (एचओडी, आईटी) और डॉ. अरुण सोलंकी (एचओडी, सीएसई) द्वारा किया गया, जिसमें सह-समन्वयक डॉ. अन्नू सिंह और डेजी सिंह का सहयोग रहा। उनके सामूहिक प्रयासों ने सत्र के सुचारू निष्पादन को सुनिश्चित किया।दोनों वक्ताओं ने प्रभावी वैज्ञानिक लेखन और शोध में अखंडता बनाए रखने के महत्व पर व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान किया। छात्रों ने सार्थक चर्चाओं में भाग लिया, जिससे उनके शैक्षणिक और शोध लेखन कौशल को बढ़ाने के लिए बहुमूल्य ज्ञान प्राप्त हुआ। अंत में, आईसीटी स्कूल के डीन डॉ. अर्पित भारद्वाज ने इस कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए इसे अत्यधिक संवादात्मक और प्रभावशाली बताया। डीन ने भविष्य में एक मजबूत शोध संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इसी तरह के व्याख्यान आयोजित करने की संस्थान की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया।

जीबीयू रजिस्ट्रार डॉ विश्वास त्रिपाठी सहित सात फैकल्टी को मिला रिसर्च एक्सीलेंस अवार्ड 2023

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ग्रेटर नोएडा।गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में विश्व स्तरीय रिसर्च को प्रोत्साहित करने के लिए एक नए कदम की शुरुआत की गई है। विश्वविद्यालय में 2023 शैक्षिक वर्ष में जिन संकाय सदस्यों एवं रिसचर्स ने विश्व स्तरीय उत्कृष्ट पत्रिकाओं में सर्वाधिक अंतरराष्ट्रीय स्तर के उच्च मानक के रिसर्च प्रकाशित किए हैं उन्हें विश्वविद्यालय द्वारा प्रशस्ति पत्र एवं पुरस्कार दिए गए हैं। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ विश्वास त्रिपाठी एवं डॉ रेखा पुरिया द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर के सर्वाधिक रिसर्च पेपर प्रकाशित किए गए। उल्लेखनीय है की कुलसचिव डॉ विश्वास त्रिपाठी पूर्व में भी कोविद-19 के दौरान कोरोना पर अपने उत्कृष्ट शोध कार्य हेतु पुरस्कृत किया जा चुके हैं।विश्वविद्यालय द्वारा नोटिफिकेशन के माध्यम से इस अवार्ड हेतु विश्वविद्यालय के सभी रिसर्चर से आवेदन पत्र आमंत्रित किए गए तथा प्राप्त आवेदन पत्रों का एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा गहन परीक्षण करते हुए निर्धारित मानकों को पूर्ण करने वाले कुल आठ रिसर्चर का चयन किया गया। उक्त रिसर्च अवॉर्ड में 1 वर्ष में अधिकतम तीन अंतरराष्ट्रीय स्तर के रिसर्च शोध पत्र गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ विश्वास त्रिपाठी को प्राप्त हुआ। इसी के साथ डॉ रेखा पुरिया डॉ जितेंद्र सिंह राठौड़, डॉ विवेक शुक्ला, डॉ विदुषी शर्मा, डॉ कीर्ति पाल, डॉ शिव शंकर को भी रिसर्च एक्सीलेंस अवार्ड से पुरस्कृत किया गया। जीबीयू के कुल सचिव डॉ विश्वास त्रिपाठी एवं अन्य अवॉर्ड विनर्स ने इस उपलब्धि के लिए कुलपति रविंद्र सिन्हा को धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम के आयोजन समिति की संयोजिका डॉ इंदु उप्रीति, प्रोफेसर श्वेता आनंद ने रिसर्च एक्सीलेंस अवॉर्ड विनर द्वारा किए गए उत्कृष्ट शोध कार्यों का उल्लेख किया तथा इन रिसर्च विनर्स का चयन किस माध्यम से किया गया इसका विस्तार से उल्लेख किया। उक्त अवसर पर विश्वविद्यालय के दिन एकेडमिक्स प्रोफेसर एमपी मलकाना एवं सभी विभागों के विभाग अध्यक्ष संकाय सदस्य उपलब्ध उपस्थित रहे। डॉक्टर जितेंद्र सिंह राठौड़ ने विश्वविद्यालय कुलसचिव द्वारा प्रशासनिक पद के साथ-साथ किए जा रहे उत्कृष्ट शोध कार्य की सराहना की तथा कहा कि यह अन्य संकाय सदस्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। कुलपति प्रोफेसर रविंद्र सिन्हा ने सभी संकाय सदस्यों से उत्कृष्ट कोटि के रिसर्च करने तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय को ख्याति दिलाने हेतु प्रयास करने की अपील की।

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जीबीयू के नए कुलपति प्रो. राणा प्रताप के पास है 31 वर्षों के शोध का अनुभव
पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा घोषित करना एक महत्वी़पूर्ण कदम है, जो प्रधानमंत्री मोदी की भगवान बुद्ध की विरासत के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। डॉ अनिर्बन गांगुली
जीबीयू के कुलपति बने प्रो. राणा प्रताप सिंह ने संभाला पदभार
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय को मिला नया कुलपति, प्रो. राणा प्रताप सिंह संभालेंगे कमान
ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने पर काम कर रहे तीन स्टार्टअप, प्रदेश सरकार ने जीबीयू के स्टार्टअप को दिए पांच-पांच लाख रुपये