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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ने विश्व पर्यावरण दिवस 2024 को “सस्टेनेबल सेलिब्रेशन” के रूप में मनाया

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ग्रेटर नोएडा:गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (GBU) के स्कूल ऑफ वोकेशनल स्टडीज एंड एप्लाइड साइंसेज (USoVSAS) के पर्यावरण विज्ञान विभाग ने विश्व पर्यावरण दिवस 2024 को बड़े उत्साह के साथ मनाया। यह दिन वैश्विक रूप से ऐतिहासिक “1972 संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावरण सम्मेलन” की याद में मनाया जाता है, जो स्टॉकहोम, स्वीडन में आयोजित पहला वैश्विक पर्यावरण शिखर सम्मेलन था, जिसका उद्देश्य पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा और बहाली को बढ़ावा देना और पर्यावरणीय चुनौतियों, मानवजनित जलवायु परिवर्तन और बिगड़ती वैश्विक पर्यावरणीय स्थितियों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह कार्यक्रम, जो 51वें विश्व पर्यावरण दिवस को चिह्नित करता है, में पर्यावरण के अनुकूल गतिविधियों को प्रस्तुत किया गया, जैसे कि गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत पर्यावरणीय रूप से सस्टेनेबल गुलदस्तों के साथ। एक पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसमें अत्यधिक सूचनात्मक और शिक्षाप्रद पोस्टरों को प्रदर्शित किया गया, जहां प्रोफेसर एन.पी. मलकनिया, अधिष्ठाता एकेडेमिक्स, जीबीयू और अधिष्ठाता, USoBT और USoVSAS ने पर्यावरण संरक्षण से संबंधित कानूनों और नीतियों के विकास और “नक्षत्र वाटिका”, “राशि वाटिका”, “नवग्रह वाटिका” जैसे विविध देशी पौधों की प्रजातियों के महत्व को समझाया, साथ ही घर और रसोई बगीचों में आसानी से उगाए जा सकने वाले सांप-प्रतिरोधक और सांप-आकर्षक पौधों का भी उल्लेख किया। उन्होंने संस्थान के पर्यावरण संरक्षण प्रयासों को भी उजागर किया। सम्मानित मुख्य अतिथि, प्रोफेसर रविंद्र कुमार सिन्हा, GBU के कुलपति, ने छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत की और विभागीय वॉल मैगज़ीन “इकोवर्स” के दूसरे संस्करण का अवलोकन किया, जो “भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखा प्रतिरोधकता” के विषय के साथ मेल खाता है। कार्यक्रम का औपचारिक आरंभ देवी सरस्वती की प्रार्थना, एक औपचारिक दीप प्रज्वलन और गणमान्य व्यक्तियों को पर्यावरण के अनुकूल स्मृतिचिह्नों के साथ सम्मानित करने के साथ हुआ, जिसमें हर कदम पर प्लास्टिक के उपयोग को कम से कम किया गया। अपने स्वागत भाषण में, प्रोफेसर मलकनिया ने 2024 को “सस्टेनेबिलिटी के लिए सुपर वर्ष” के रूप में जोर दिया, जिसमें छह प्रमुख वैश्विक पर्यावरणीय घटनाओं का उल्लेख किया गया, जिनमें रियो सम्मेलनों और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा शामिल हैं। उन्होंने ऐतिहासिक पर्यावरणीय मुद्दों जैसे स्कैंडेनेविया में अम्लीय वर्षा और जर्मनी के जंगलों के पतन पर चर्चा की और कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में राचेल कार्सन के अग्रणी कार्य की प्रशंसा की। उन्होंने पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के पर्यावरणीय पक्ष की सराहना की, जो भारत को पर्यावरण कारणों के लिए विकासशील राष्ट्रों का वैश्विक प्रतिनिधि बनाने में सहायक रही, और इसे भारत में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन के उदाहरण से सत्यापित किया। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के अधिनियम का उल्लेख किया, जो 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के परिणामस्वरूप था, और अपनी बातचीत में ए.जे.पी. टेलर के एक प्रसिद्ध उद्धरण “कुछ भी अनिवार्य नहीं होता जब तक यह घटित नहीं होता” का उल्लेख किया। अपनी बुद्धिमत्तापूर्ण बातों को मिट्टी के एक बर्तन और उसके उलट जाने पर उसके बाहर फैलने के उदाहरण से समाप्त करते हुए उन्होंने कहा, “समस्याएं छोटी होती हैं लेकिन इसके परिणाम दीर्घकालिक होते हैं।” माननीय प्रोफेसर सिन्हा ने अपने संबोधन में विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने के लिए आयोजकों की सराहना की और समय पर आयोजनों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के 17 सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन की वकालत की और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में पर्यावरण शिक्षा को शामिल करने की सराहना की। उन्होंने B.Sc. पर्यावरण विज्ञान की शुरुआत के लिए GBU की पहल को उजागर किया और विभिन्न विषयों में पर्यावरण शिक्षा के एकीकरण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने जोर दिया कि अन्य क्षेत्रों में चल रहे अनुसंधान को स्थिरता के विचार के साथ संरेखित करना चाहिए, क्योंकि पर्यावरण की सुरक्षा सामूहिक जिम्मेदारी है। प्रोफेसर सिन्हा ने पर्यावरण पर प्रौद्योगिकी के प्रभावों को कम करने के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया, और दर्शकों को वाहनों के उपयोग को कम करने और वृक्षारोपण अभियानों को बढ़ावा देने जैसी पहलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। मुख्य अतिथि, प्रोफेसर आर.के. सिन्हा के प्रेरणादायक संबोधन के बाद एक विचार-विमर्श और इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किया गया, जिसमें दर्शकों में शामिल फैकल्टी सदस्यों और छात्रों ने विभिन्न महत्वपूर्ण और प्रासंगिक मुद्दों को उठाया। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में समृद्ध जैव विविधता, वर्षा जल संचयन प्रणाली और बड़े सौर पैनल इंस्टॉलेशन हैं जो इसे एक स्थायी परिसर बनाते हैं। इसके बावजूद, इस संबंध में आगे सुधार के सुझावों पर माननीय कुलपति ने ध्यान दिया, जिन्होंने विश्वविद्यालय को पर्यावरण संरक्षण के लिए एक प्रेरणा बनाने के लिए पर्याप्त धन आवंटित करने की प्रतिज्ञा की। इस चर्चा का समापन दर्शकों की प्रतिक्रियाओं और प्रोफेसर मलकनिया के अंतर्दृष्टिपूर्ण समापन टिप्पणियों के साथ हुआ, जिसमें पर्यावरणीय संरक्षण और सतत जीवन के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया। कार्यक्रम का समापन पर्यावरण विज्ञान विभागध्यक्ष, डॉ. भास्वती बनर्जी द्वारा औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने सभी गणमान्य व्यक्तियों, प्रतिभागियों और आयोजकों को हार्दिक धन्यवाद व्यक्त किया।

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय बना ‘ईट राइट कैंपस

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भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफ0एस0एस0आई0) द्वारा गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा को "ईट राइट कैंपस" घोषित किया गया हैl ज्ञात हो कि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय एक आवासीय विश्वविद्यालय है जिसमें 5000 से अधिक छात्रों/छात्राओं के छात्रावास में रहने की व्यवस्था है। ईट राइट कैंपस प्रमाणीकरण, खानपान की वस्तुओं की गुणवत्ता हेतु वैज्ञानिक मानक निर्धारण के साथ ही उत्पादन, भण्डारण, वितरण आदि की गुणवत्ता के आधार पर दिया जाता है। एफ0एस0एस0आई0 की इस पहल का उद्देश्य सुरक्षित स्वास्थ्य एवं पोषण युक्त भोजन तंत्र विकसित करना है। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय का 'ईट राइट कैंपस' प्रमाणीकरण अगले 2-वर्ष के लिए वैध होगाI यह प्रमाणीकरण ऐसे संस्थानों को दिया जाता है जहां सुरक्षित, स्वस्थ एवं पोषण युक्त खानपान की व्यवस्था होती हैI यह न केवल विश्वविद्यालय के भोजनालयों में सुरक्षित, स्वास्थप्रद एवं पोषण युक्त होने का प्रमाणीकरण है अपितु भविष्य की दृष्टि से छात्र-छात्राओं में खान-पान संबंधी स्वस्थ आदतें विकसित करने पर जोर देने की प्रतिबद्धता है I इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर रविंद्र कुमार सिन्हा ने विश्वविद्यालय की इस उपलब्धि पर सभी को बधाई दी और छात्र-छात्राओं का संतुष्टि एवं स्वस्थ् सूचकांक बढ़ाने की दिशा में एक प्रमुख उपलब्धि बताया I उन्होंने विश्वविद्यालय की आवासीय प्रकृति एवं लगभग 5000 छात्र-छात्राओं के यहां आवासित होने की पृष्ठभूमि में स्वस्थ एवं पोषण युक्त भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर दियाI उन्होंने छात्रावास अभिरक्षकों एवं मैस संचालक की अहम भूमिका को रेखांकित करते हुए छात्रावासों में गुणवत्तापूर्ण भोजन के साथ ही छात्र-छात्राओं के छात्रावास में रहने के अनुभव को उत्कृष्ट बनाने हेतु भी निर्देशित कियाI माननीय कुलपति जी ने विश्वविद्यालय के भोजनालयों एवं छात्रावासों में विश्वस्तरीय मानक स्थापित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक प्रोफेसर एन. पी. मलकानिया, प्रभारी छात्र कल्याण, मुख्य छात्रावास अभिरक्षक (पुरुष एवं महिला), विभिन्न छात्रावासों के छात्रावास अभिरक्षक तथा कम्पस के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

सीएसजेएम गर्ल्स हॉस्टल, जीबीयू ने समाज सुधारक छत्रपति शाहू जी महाराज की जयंती मनाई

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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में छत्रपति साहू जी महाराज (सीएसजेएम) गर्ल्स हॉस्टल के निवासियों ने 18 मई 2024 (शनिवार) को एक आकर्षक और जीवंत कार्यक्रम के साथ समाज सुधारक छत्रपति शाहू जी महाराज की जयंती मनाई। कार्यक्रम ऊर्जा और प्रेरणा से भरे सीएसजेएम गर्ल्स हॉस्टल के प्राचीन परिसर में भगवान के आह्वान और निशिका शर्मा द्वारा गणपति वंदना के साथ शुरू हुआ। कार्यक्रम में डीन, स्टूडेंट अफेयर्स डॉ. मनमोहन सिंह शिशोदिया (डीएसए), चीफ वार्डन (बॉयज़) डॉ. सुभोजित बनर्जी और चीफ वार्डन (गर्ल्स) डॉ. विदुषी शर्मा विशिष्ट अतिथि थे। कार्यक्रम में जीबीयू के विभिन्न गर्ल्स हॉस्टल से डॉ. रेनू यादव और अन्य वार्डन भी उपस्थित थीं। कार्यक्रम में सभी विद्यार्थियों एवं स्टाफ सदस्यों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत मेजबान डॉ. आशा पांडे, वार्डन, सीएसजेएम हॉस्टल के औपचारिक स्वागत भाषण के साथ हुई, जिसमें छत्रपति साहू जी महाराज के जुनून और दृढ़ संकल्प पर प्रकाश डाला गया। सुश्री गरिमा प्रजापति द्वारा साहू जी के जीवन और शिक्षा और सामाजिक समानता, विशेषकर महिलाओं और पिछड़े समुदायों के लिए उनके महत्वपूर्ण योगदान की एक झलक प्रस्तुत की गई। इसके बाद सभा को डीन स्टूडेंट अफेयर डॉ. मनमोहन सिंह शिशोदिया के विचारोत्तेजक शब्दों से संबोधित किया गया। छात्रों को उनकी उत्साहपूर्ण भागीदारी के लिए बधाई दी गई। साहू जी के प्रगतिशील सुधारों और उनके स्थायी प्रभाव को मुख्य वार्डन (बालक) डॉ. सुभोजित बनर्जी ने भी संबोधित किया। मुख्य वार्डन (बालिका) डॉ. विदुषी शर्मा द्वारा विद्यार्थियों को छात्रावास को साफ-सुथरा रखने एवं रखरखाव हेतु प्रोत्साहित किया गया। गरिमा सिंह, निशिका शर्मा और सोनाली द्वारा भारत की विविधता में एकता को दर्शाने वाले जीवंत सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुत किए गए। तेजस्विनी द्वारा एक प्रेरक स्वलिखित कविता का सुंदर पाठ किया गया। छात्रों ने डीएसए और मुख्य वार्डन के साथ एक जीवंत चर्चा में भी भाग लिया, उन्होंने छात्रावास, मेस और अन्य सुविधाओं के बारे में अपनी प्रतिक्रिया साझा की। इस कार्यक्रम ने साहू जी की विरासत की एक मूल्यवान याद दिलाई और छात्रों को अधिक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत समाज की वकालत करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का समापन डॉ. आशा पांडे, वार्डन सीएसजेएम द्वारा औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन और उसके बाद राष्ट्रगान के साथ हुआI

दुश्‍मनों के मंसूबों को जड़ से नष्‍ट करेगी डिजिटल फोरेंसिक लैब, सीमा पार से आनेवाले ड्रोन का हो सकेगा खात्मा

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इन ड्रोन को एंटी राग ड्रोन टेक्नोलॉजी कमेटी (आरओजीयूई) की ओर से तुरंत मारकर नष्‍ट कर दिया जाता है। उसमें रडार और जैमर डिटेक्शन में दिक्कत आती है और उसका डाटा भी रिकवर नहीं हो पाता जिस वजह से दुश्‍मन के मंसूबों तक आखिर वह ड्रोन उसने क्‍यों भेजा गया उसका पता नहीं लग पाता। साइबर फोरेंसिक लैब नष्‍ट डिवाइस से भी डाटा रिकवर कर सारे जवाब उगलवा लेगी। डिजिटल क्रांति नित नए अध्‍याय लिख रही है। उसी के माध्‍यम से आतंकी संगठनों के मंसूबों को भी पस्‍त किया जा रहा है। एक कड़ी आगे बढ़ते हुए आतंकी देशों द्वारा देश की सीमा पर भेजे जाने वाले ड्रोन के मकसद का भी पता लगाया जा सकेगा। इसके लिए देश की पहली डिजिटल साइबर फोरेंसिक लैब तैयार हो रही है। दुश्मन देश लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर आए दिन ड्रोन के माध्यम से कभी हथियार गिराते हैं तो कभी नशे का सामान फेंकते हैं या फिर रेकी करते हैं। नोएडा स्थित गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी में तैयार इस डिजिटल साइबर फोरेंसिक लैब में डाटा रिकवर करने के लिए स्वीडन-इजरायल साइबर टूल का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें डाटा स्ट्रैक्शन टूल को लगाया जाएगा, जिसमें ड्रोन की नष्ट चिप को लगाया जाएगा, इसके बाद उसकी सारी वह जानकारी हासिल होनी शुरू हो जाएगी। इसमें उसकी रिपोर्ट किसके पास है, किस स्थान से उड़ाया गया, ड्रोन के द्वारा कहां-कहां की तस्‍वीरें क्लिक की गईं, कहां भेजी गईं सब राज उगले जाएंगे। डाटा स्ट्रैक्शन वो टूल है, जिसमें नष्‍ट डाटा खुद ही रिकवर हो जाता है। इसी तरह किसी आतंकी या देश के विरुद्ध साजिश रचने वाले किसी आरोपित का नष्‍ट किया हुआ मोबाइल, लैपटाप मिलता है तो उसे भी रिकवर किया जा सकेगा। इसके लिए स्वीडन, इजरायल, अमेरिका के साइबर टूल का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें नष्ट गैजेट के कुछ अंश को डालने के बाद में मैसेज, ई-मेल, फोटो, फाइल समेत अन्य जानकारी हासिल हो सकेंगी।

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग द्वारा ऑनलाइन ‘अलुमनाई मीट’ का हुआ सफल आयोजन 

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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग ने विश्वविद्यालय के कॉर्पोरेट रिलेशन सेल के सहयोग में शनिवार सुबह 11 बजे से ऑनलाइन ‘अलुमनाई मीट’ का सफल आयोजन किया. इस आयोजन का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविंद्र कुमार सिन्हा जी के वक्तव्य के साथ हुआ. अपने वक्तव्य में कुलपति जी ने सभी पूर्व छात्रों का स्वागत किया और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. सुभाशीष भद्रा जी को समाज कार्य विभाग की नींव रखने के लिये विशेष रूप से धन्यवाद दिया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. सुभाशीष भद्रा वर्तमान में NIMHANS, बेंगलुरु में कार्यरत हैं और उन्होंने गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग की शुरुआत करने में अहम भूमिका अदा की थी. इसके बाद मानविकी तथा सामाजिक विज्ञान की डीन प्रोफेसर बन्दना पांडेय ने स्वागत वक्तव्य में इस आयोजन की महत्ता पर प्रकाश देते हुए छात्रों को सम्बोधित किया. उनका वक्तव्य विभाग से जुड़े रहने के महत्व, भावनाओं के विकास और भविष्य की संभावनाओं पर केंद्रित रहा. इसके साथ ही उन्होंने मुख्य अतिथि प्रो. सुभाशीष भद्रा जी का स्वागत किया और पूर्व छात्रों को गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय से जुड़े रहने की अपील भी की. इस आयोजन को अगली बार भौतिक रूप से करने की संभावना व्यक्त की. कार्यक्रम के अगले चरण में मुख्य अतिथि प्रो. सुभाशीष भद्रा ने विभाग से जुड़ी भावनात्मक यादों को सबके साथ साझा किया. इस अवसर पर उनके पढ़ाए हुए छात्रों ने उन भावनाओं को याद और व्यक्त भी किया. उन्होंने छात्रों को अकादमिक विस्तार के लिये परस्पर सीखने की भावना रखने की सलाह दी. समाज कार्य विभाग उनका विशेष आभार व्यक्त करता है. इसके बाद छात्रों ने भी अपनी पुरानी यादों में विभाग के विभिन्न शिक्षकों का आभार व्यक्त किया. भविष्य की संभावनाओं पर भी पूर्व छात्रों ने अपना सहयोग देने की बात कही. कार्यक्रम की समापन टिप्पणी समाज कार्य विभाग के हेड डॉ. ओम्बीर सिंह द्वारा दिया गया और धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कॉर्पोरेट रिलेशन सेल के डायरेक्टर डॉ. विनय लिटोरिआ ने दिया. इस कार्यक्रम का संचालन विभाग के कोर्स कोऑर्डिनेटर डॉ. राहुल कपूर ने किया. इस मौके पर समाज कार्य विभाग के फैकेल्टी मेंबर डॉ. सिद्धारामु, डॉ. रौनक अहमद, श्री रवि प्रताप भारती और श्री अमन साहू जुड़े रहे.

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ने साइबर फोरेंसिक लैब स्थापित करने के लिए साइबरटिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ समझौता किया

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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (जीबीयू), ग्रेटर नोएडा ने 10 मई, 2024 को साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक के क्षेत्र में अकादमिक ज्ञान और जागरूकता बढ़ाने के लिए एक डिजिटल फोरेंसिक प्रयोगशाला और क्षमता निर्माण सुविधा स्थापित करने के लिए साइबरटिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (सीआईपीएल) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। साइबरटिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड एक मुंबई स्थित कंपनी है जो साइबर फोरेंसिक, साइबर सुरक्षा, सॉफ्टवेयर विकास, अनुसंधान के क्षेत्र में काम करती है और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक मुद्दों को भी संभालती है। कुलपति प्रो. रविंदर कुमार सिन्हा ने कहा कि प्रयोगशाला की स्थापना से न केवल विश्वविद्यालय के छात्रों को बल्कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों, निजी कॉर्पोरेट्स और निजी संस्थानों को भी ज्ञान मिलेगा। एमओयू साइबर सुरक्षा और साइबर फोरेंसिक प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र को मजबूत करने के लक्ष्य के साथ सहयोग के कई संभावित क्षेत्रों की रूपरेखा तैयार करेगा। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. विश्वास त्रिपाठी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के युग में साइबर सुरक्षा समय की मांग है। बैठक में सभी स्कूल के डीन, संकाय सदस्य और सीआईपीएल के अधिकारियों ने भाग लिया। यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी में प्रयोगशाला स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है। समझौते में साइबर फोरेंसिक, साइबर सुरक्षा, सॉफ्टवेयर विकास, अनुसंधान और जीबीयू के छात्रों की क्षमता निर्माण के क्षेत्र में संयुक्त गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला में दोनों पक्षों के सहयोग की परिकल्पना की गई है। एमओयू का उद्देश्य साइबर सुरक्षा प्रौद्योगिकी और योजना के क्षेत्र में इच्छुक छात्रों और शोधकर्ताओं को व्यापक प्रशिक्षण प्रदान करना है। समय के साथ यह प्रयोगशाला स्नातक, स्नातकोत्तर और अनुसंधान कार्यक्रमों के छात्रों के लिए संशोधित प्रमाणन और डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रदान करेगी। इसके अलावा, इस साझेदारी का उद्देश्य साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास गतिविधियों को बढ़ावा देना है। सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से, जीबीयू और सीआईपीएल, साइबर सुरक्षा उद्योग में नवीन प्रगति के बारे में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर प्रशिक्षण, कार्यशालाएँ, सेमिनार, सम्मेलन, संगोष्ठियाँ और व्याख्यान सहित शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित करवाएंगे। इसके साथ ही सक्रिय रूप से अनुसंधान, ज्ञान के सृजन और प्रसार एवम प्रकाशन गतिविधियों में भी योगदान करेंगे।

जीबीयू में छात्रों को एआई का ज्ञान देंगे कंपनी के विशेषज्ञ

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ग्रेटर नोएडा, कार्यालय संवाददाता। गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय (जीबीयू) में विद्यार्थियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ज्ञान मिलेगा। इसके लिए विश्वविद्यालय परिसर में एआई सेंटर स्थापित होने की कवायद तेज हो गई है। सेंटर की स्थापना के लिए शासन से 50 करोड़ रुपये का बजट भी प्रस्तावित हो चुका है। एआई सेंटर में देशभर की बड़ी कंपनियां भी आएंगी। कंपनी के वैज्ञानिक और इंजीनियर प्रत्येक सेमेस्टर में कक्षाएं भी लेंगे। विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि एआई का उपयोग पैटर्न खोजने, नई तकनीकी खोजने, भविष्यवाणियां करने, मशीनों और भौतिक वातावरण के साथ बातचीत करने सहित अन्य कार्य में किया जा सकता है। एआई में नॉलेज, रीजनिंग, प्राब्लम साल्विंग, परसेप्शन, लर्निंग, प्लानिंग और ऑटोमेशन प्रोसेस के लिए प्रोग्रामिंग शामिल है। एआई शिक्षा से छात्रों को कई फायदे होंगे। वह कॉलेज के माध्यम से आगे बढ़ते हैं और अपने करियर की राह चुनते हैं। ऐसे में विभिन्न उद्योगों में एआई के बढ़ते एकीकरण के साथ, एआई ज्ञान रखने से छात्रों को नौकरी में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी। एआई शिक्षा का एकीकरण छात्रों को आलोचनात्मक सोच, समस्या- समाधान और रचनात्मकता विकसित करके सशक्त बनाएगा। चूंकि भविष्य की नौकरियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा एआई प्रौद्योगिकियों पर निर्भर सेंटर स्थापित करने की विदेशी छात्रों के दाखिले बढ़ाने पर जोर | एआई से तेज हो गई है। विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों के दाखिले बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है। विश्वविद्यालय स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम के तहत विदेशी छात्रों को दाखिला दे रहा है। इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए डासा प्रोग्राम भी शुरू किया गया है। इसके तहत जो लोग मूलतः भारतीय हैं, जबकि विदेशों में रह रहे हैं, उन्हें भी जीबीयू में पढ़ने का मौका दिया जा रहा है। ऐसे में एआई कौशल से लैस छात्र-छात्राओं को रोजगार और करियर की सफलता के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। विश्वविद्यालय विज्ञान में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों के लिए एआई सेंटर स्थापित करने जा रहा है, यह प्रदेश का पहला हाईटेक एआई सेंटर होगा, जिसमें छात्रों को नए कोर्स और तकनीकों के बारे में जानकारी मिलेगी। छात्रों को एआई में पारंगत करने के लिए देशभर की कंपनियों के साथ एकेडमिक समझौता कर रहा है, ताकि छात्रों को उच्च गुणवत्ता शिक्षा प्रदान की जा सके । - प्रोसेफर आरके सिन्हा, कुलपति जीबीयू आईबीएम के विशेषज्ञ छात्रों को पढ़ाएंगे: बिजनेस एनालिटिक्स और कंप्यूटर सांइस के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय आईबीएम कंपनी का सहयोग लेगा। यह कंप्यूटर की सबसे बड़ी कंपनी है। इस कंपनी के वैज्ञानिक और इंजीनियर प्रत्येक सेमेस्टर में जीबीयू में पढ़ाएंगे। इन विषय की थ्योरी और उसका प्रेक्टिकल कराने के लिए कंपनी के साथ एकेडमिक समझौता किया गया है। छात्रों को एआई में पारंगत करने के लिए विश्वविद्यालय ने माइक्रोसाफ्ट, एचसीएल, सेमसंग आदि बड़ी कंपनियों के साथ भी एमओयू किया है। हाल में ही उत्तरप्रदेश के सचिव स्तरीय अधिकारियों के साथ माइक्रोसॉफ्ट के अधिकारियों के साथ इस संबंध में बैठक भी हुई थी।

विदेशी छात्रों ने गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में बुद्ध पूर्णिमा धूम धाम से मनाया

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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन के अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने वैशाख पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) का आयोजन उत्साह और आदर के साथ मानाया। कार्यक्रम, 8 मई 2024 को आयोजित किया गया, जिसमें विश्वविद्यालय के कुलपति।, रजिस्ट्रार, डीन एकेडमिक्स, बौद्ध अध्ययन विभाग की डीन और विभाग के सभी संकाय के सम्मानीय शिक्षकों, एवं अन्य विभागों के शिक्षकों की उपस्थिति में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का संचालन भिक्षु न्गुयेन वान क्वॉक और भिक्षुनी माई ची द्वारा वैशाख दिवस के महत्व को बौद्ध परंपरा में स्पष्ट किया जाने से शुरू हुआ। उनके तत्वाधान ने एक आध्यात्मिक चिंतन और उत्सव से भरे दिन के लिए मंच तैयार किया। कुलपति प्रो. रविन्द्र कुमार सिन्हा ने आयोजकों की सराहना की और इसे तत्कालीन रूप से संगठित करने और सम्पूर्ण कार्यक्रम को संचालित करने का तरीका बहुत धाराप्रवाही रहा की ओर इशारा करते हुए इस दिन की महत्ता पर प्रकाश डाला और साथ ही आयोजन करने वाले छात्रों को प्रोफेशनल तरीक़े से कार्यक्रम का आयोजन के लिए बधाई दी। जबकि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ विश्वास त्रिपाठी ने कार्यक्रम के आयोजन में लगे छात्रों की प्रेरणा और समर्पण की सराहना की और्वसाथ ही कहा कि यह कार्यक्रम हर वर्ष विश्वविद्यालय में आयोजित हितिन्रही है और हर बार कुछ नया देखने को मिलता है जो हम सभी के लिए अनुकरणीय है। बौद्ध अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ चंद्रशेखर पासवान ने छात्रों को इस आयोजन के लिए बधाई दी और आगे कहा कि किस तरह से कार्यक्रम का आयोजन छात्रों ने किया ये हम सब के लिये प्रेरणा का स्रोत है। प्रो. एन. पी. मालकानिया, डीन एकेडमिक्स और प्रो. श्वेता आनंद, बौद्ध अध्ययन विभाग की डीन, ने विश्वविद्यालय में इस विशेष दिन की विश्वव्यापी अवलोकन की प्रशंसा की और छात्रों को इस अवसर पर इस कार्यक्रम को विश्वविद्यालय में आयोजित करने के लिए धन्यवाद दिया।

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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय एशियाई पुस्तकालय सम्मेलन का भव्य आगाज़
जीबीयू के 160 पाठ्यक्रम पर प्रवेश शुरू, 10 नए पाठ्यक्रम जोड़े
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया शुरू, 10 नए पाठ्यक्रम किये शामिल
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2025-26 प्रवेश प्रक्रिया प्रारम्भ ।
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय शैक्षणिक सत्र 2025-26 में कुल 4,360 सीटों के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू