गौतम बुद्ध नगर उल्लेखनिय है कि आज का दिन भारतीय इतिहास में बहुत महत्व रखता है, इसलिए इसे भारतीय लोगों द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए देश भर में मनाया जाता है। इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष १४ अप्रिल २०२३, जो कि बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर का जन्म दिवस है, को भारत सरकार ने सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है जो दशाता है कि वो आज भी कितने पूजनीय है। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर के जन्म दिवस पर उन्हें विश्वविद्यालय परिवार की ओर से श्रधांजलि अर्पित करने हेतु एक कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय में स्थित बाबा साहब दीक्षा स्थल जहां बाबा साहब और उन्हें दीक्षा देते हुए भिक्षु चन्द्रमणि और उनके तीन शिष्यों की अष्टधातु से बनी आदम कद की प्रतिमा है, पर आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान कुलपति प्रो आर. के. सिन्हा, कुल सचिव डॉ विश्वास त्रिपाठी, के अलावा बड़ी संख्या में विश्वव्विदयलय के पदाधिकारी, शिक्षकगण एवं कर्मचारीयों ने पुष्पित अर्पित कर अधांजलि दी। कार्यक्रम में 1080 अंबेडकर बाबासाहेब उपलब्धियों पर चर्चा की गयी और उस क्रम जो मुख्य बातें चर्चा रही वो थे कि बाबा साहब की प्रतिष्ठा एक महान विज्ञान और कानूनविद की थी और यही कारण था कि आजादी के बाद उन्हें देश का पहला कानून मंत्री बनाया गया। उन्हें भारतीय संविधान निर्माण की सबसे अहम जिम्मेदारी देते हुए संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया संविधान निर्माण के लिए उन्होंने कई देशों के संविधान का अध्ययन किया उन्हें संविधान का जनक व संविधान निमार्ता भी कहा जाता है। इसके अलावा वह एक महान अर्थशास्त्री थे आरबीआई की परिकल्पना उनके विचारों पर ही आधारित थी। अंत में कुलपति जीबीयू ने कहा कि अम्बेडकर उच्चतम ज्ञान और दलित आध्यात्मिकता दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स और समानता के अग्रदूत थे। साथ ही यह भी कहा कि बाबा साहब अंबेडकर सिर्फ दलित वर्ग के लिए नहीं बल्कि महिलाओं व श्रमिकों के अधिकारों के लिए भी लड़े थे। वह चाहते थे कि महिलाओं को समाज में बराबरी का हक मिले। ये कहते थे कि मैं किसी समाज की प्रगति का आकलन यह देखकर करूंगा कि वहाँ की महिलाओं की स्थिति कैसी है। कार्यक्रम में प्रो एन. पी. मलकनिया, प्रो बंदना पांडेय, प्रो संजय शर्मा, डॉ कीर्ति पाल, डॉ मनमोहन सिंह, डॉ विवेक मिश्रा, डॉ प्रदीप तोमर, डॉ ओम प्रकाश, डॉ चंद्रशेखर पासवान, डॉ जेपी मुयाल, डॉ शुभोजीत बैनर्जी, इत्यादि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।