ग्रेटर नोएडा। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। संगोष्ठी का शीर्षक भारतीय ज्ञान प्रणाली के द्वारा मनोविज्ञान के लिए पाठ्यक्रम का विकास था। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉक्टर कैलाश नाथ शर्मा (अध्यक्ष विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान), तथा मुख्य वक्ता प्रोफ. गिरिश्वर मिश्रा (पूर्व कुलपति महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविध्यालय, वर्धा महाराष्ट्र) थे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई । संगोष्ठी के संयोजक डाक्टर आनन्द प्रताप सिंह (अधक्ष्य मनोविज्ञान एवं मानसिक स्वास्थ्य विभाग, गौतम बुद्ध विश्वविध्यालय) एवं डाक्टर विवेक कुमार मिश्रा (अधक्ष्य, हिंदू अध्ययन केन्द्र, गौतम बुद्ध विश्वविध्यालय) ने कार्यकर्म के मुख्य बिंदुओ पर प्रकाश डालते हुए मनोविज्ञान के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली के समावेश पर ध्यान इंगित किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर कैलाश चन्द्र शर्मा ने बताया कि मनोविज्ञान विषय में मौजूद सिद्धांतो से जुड़े तथ्य विषय की उत्पत्ति से पहली भी मौजूद रहे हैं लेकिन पश्यचयात सिद्धांतो एवं मनोवैज्ञानिकों के प्रभाव के वजह से भारतीय ज्ञान की उपेक्षा की गई। उन्होंने बताया कि पश्यचयात और स्वदेशी विचारों को साथ साथ समान रूप से विषय में सम्मिलित होना चाहिए। इस अवसर पर संगोष्ठी के प्रमुख्य वक्ता प्रोफ. गिरीश्वर मिश्रा ने वेद एवं उपनिषदों में मौजूद तथ्यों के आधार पर पाठ्यक्रम के विकास पर जोर देते हुए बताया कि हमारी अपनी स्वदेशी ज्ञान, मनोवैज्ञानिक शोध एवं मनोवैज्ञानिक समस्यायों से निपटने की समझ को दिशा देने में सक्षम हैं। इसके अलावा विश्वविध्यालय के कुलपति प्रोफ़ रविन्द्र कुमार सिन्हा, अधिष्ठाता प्रोफ बंदना पांडेय ने सम्बोधित किया एवं कुलसचिव डॉक्टर विश्वास त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रोफ. धनंजय सिंह मेंबर ऑफ सेक्रेटरी आई. सी. एस. एस. आर, शामिल हुए एवं उन्होंने यह आश्वासन दिया कि आई. सी. एस. एस. आर के माध्यम से भारतीय ज्ञान पद्धति के क्षेत्र में शोध कार्य एवं छोटे छोटे शोधयोजनाओ के क्रियान्वयन के लिये लोगों को प्रोत्साहित किया। इस दो दिवसीय संगोष्ठी में लगभग 150 प्रतिभागियों ने भाग लिया एवं देश के प्रमुख संस्थाओं जैसे आई. आई.टी. बॉम्बे, दिल्ली विश्विद्यालय, आई. आई. टी. खड़गपुर, कॉटन विश्वविद्यालय गुवाहाटी, NIMHANS इत्यादि संस्थाओं से विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रस्तुत किया। कार्यकर्म में गौतम बुद्ध विश्विद्यालय के अधिष्ठाता, विभागाधक्ष्य, संकाय सदश्य एवं भरी मात्रा में छात्र – छात्राएं भाग लिए।