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दुश्‍मनों के मंसूबों को जड़ से नष्‍ट करेगी डिजिटल फोरेंसिक लैब, सीमा पार से आनेवाले ड्रोन का हो सकेगा खात्मा

इन ड्रोन को एंटी राग ड्रोन टेक्नोलॉजी कमेटी (आरओजीयूई) की ओर से तुरंत मारकर नष्‍ट कर दिया जाता है। उसमें रडार और जैमर डिटेक्शन में दिक्कत आती है और उसका डाटा भी रिकवर नहीं हो पाता जिस वजह से दुश्‍मन के मंसूबों तक आखिर वह ड्रोन उसने क्‍यों भेजा गया उसका पता नहीं लग पाता। साइबर फोरेंसिक लैब नष्‍ट डिवाइस से भी डाटा रिकवर कर सारे जवाब उगलवा लेगी। डिजिटल क्रांति नित नए अध्‍याय लिख रही है। उसी के माध्‍यम से आतंकी संगठनों के मंसूबों को भी पस्‍त किया जा रहा है। एक कड़ी आगे बढ़ते हुए आतंकी देशों द्वारा देश की सीमा पर भेजे जाने वाले ड्रोन के मकसद का भी पता लगाया जा सकेगा। इसके लिए देश की पहली डिजिटल साइबर फोरेंसिक लैब तैयार हो रही है। दुश्मन देश लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर आए दिन ड्रोन के माध्यम से कभी हथियार गिराते हैं तो कभी नशे का सामान फेंकते हैं या फिर रेकी करते हैं। नोएडा स्थित गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी में तैयार इस डिजिटल साइबर फोरेंसिक लैब में डाटा रिकवर करने के लिए स्वीडन-इजरायल साइबर टूल का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें डाटा स्ट्रैक्शन टूल को लगाया जाएगा, जिसमें ड्रोन की नष्ट चिप को लगाया जाएगा, इसके बाद उसकी सारी वह जानकारी हासिल होनी शुरू हो जाएगी। इसमें उसकी रिपोर्ट किसके पास है, किस स्थान से उड़ाया गया, ड्रोन के द्वारा कहां-कहां की तस्‍वीरें क्लिक की गईं, कहां भेजी गईं सब राज उगले जाएंगे। डाटा स्ट्रैक्शन वो टूल है, जिसमें नष्‍ट डाटा खुद ही रिकवर हो जाता है। इसी तरह किसी आतंकी या देश के विरुद्ध साजिश रचने वाले किसी आरोपित का नष्‍ट किया हुआ मोबाइल, लैपटाप मिलता है तो उसे भी रिकवर किया जा सकेगा। इसके लिए स्वीडन, इजरायल, अमेरिका के साइबर टूल का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें नष्ट गैजेट के कुछ अंश को डालने के बाद में मैसेज, ई-मेल, फोटो, फाइल समेत अन्य जानकारी हासिल हो सकेंगी।