नवाचार और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने की दिशा में गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (जीबीयू) ने एक बड़ा कदम उठाया है। विश्वविद्यालय ने अपने शिक्षकों के लिए 1 करोड़ रुपये का विशेष शोध कोष स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है, जिसका उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले शोध कार्यों, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन तथा समयबद्ध पेटेंट दाखिल करने में सहयोग प्रदान करना है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह ने इस पहल को विश्वविद्यालय की अकादमिक उत्कृष्टता की दिशा में एक निर्णायक कदम बताया। उन्होंने कहा, “यदि हमें उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में उभरना है, तो हमारे शोधकर्ताओं को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराना अनिवार्य है। 1 करोड़ रुपये का यह समर्पित कोष उच्च गुणवत्ता वाले शोध, अधिक प्रकाशनों और बौद्धिक संपदा संरक्षण में तेजी लाएगा। यह नवाचार आधारित विकास और वैश्विक शैक्षणिक पहचान की दिशा में एक ठोस कदम है।” विश्वविद्यालय की प्रबंधन समिति ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है, जिससे योजना के क्रियान्वयन का रास्ता साफ हो गया है। इसके तहत शिक्षकों को शोध परियोजनाओं के लिए आर्थिक सहायता मिलेगी, जिससे वे अपने अनुसंधान को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप आगे बढ़ा सकेंगे।पिछले कुछ वर्षों में जीबीयू ने शोध अवसंरचना को मजबूत करने, नए अकादमिक कार्यक्रम शुरू करने और उद्योगों के साथ सहयोग बढ़ाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण पहलें की हैं। इस नई योजना से विश्वविद्यालय की बौद्धिक संपदा और नवाचार क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। यह पहल न केवल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं को सशक्त बनाएगी, बल्कि भारत के नवाचार और अनुसंधान परिदृश्य में गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय की भूमिका को और अधिक प्रभावशाली बनाएगी।