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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मनोविज्ञान के क्षेत्र में नई चिकत्सा विधि विकसित किया ।

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय GBU के शिक्षक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. आनंद प्रताप सिंह और उनकी शोध छात्रा आकृति वार्ष्णेय, ने मनोविज्ञान के क्षेत्र में एक नई विधा विकसित की है, जिसे ‘न्यूरो-कोग्निटिव प्लास्टिसिटी थेरेपी’ (NCPT) का नाम दिया गया है। इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार के बौद्धिक संपदा विभाग द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है और आधिकारिक रूप से कॉपीराइट प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।NCPT मानसिक स्वास्थ्य और न्यूरोलॉजिकल विकारों के उपचार में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है। यह विधा मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ावा देने और नए न्यूरल कनेक्शन्स को बनाने में सहायता करती है, जो मानसिक विकारों से ग्रस्त रोगियों के लिए एक प्रभावी उपचार का विकल्प हो सकता है।इस उपलब्धि से न केवल GBU के शोधकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है, बल्कि यह भारत के चिकित्सा मनोविज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हो सकती है। NCPT मूल रूप से न्यूरोफीडबैक थेरेपी एवं कॉग्निटिव थेरेपी का एक समेकित रूप है जिसके द्वारा मरीजों का उपचार कम समय में ही प्रभावी तरीके से किया जा सकता है। यह उपचार एक वैज्ञानिक, वस्तुनिष्ट एवं एविडेंस बेस्ड चिकत्सा पद्धति पर आधारित है। दोनो ही शोधकर्ताओं का कहना है की वो इस विधा के प्रयोग को और विस्तारित करेंगे और आने वाले समय में इसके बहुआयामी उपयोग के लिए शोध कार्य करते रहेंगे। ज्ञात हो की गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय मनोविज्ञान के शिक्षा के क्षेत्र में एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर पर उभरा है और पूरे देश में मनोविज्ञान के क्षेत्र में प्रमुख स्थान रखता है। दोनो शोधकर्ताओं ने इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त की है और विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो रविन्द्र कुमार सिन्हा, कुल सचिव डॉ विश्वास त्रिपाठी, संकाय की डीन प्रो बंदना पांडे का विश्वविद्यालय द्वारा प्रदत्त सभी सहयोग के लिए आभार प्रकट किया।