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जीबीयू के बौद्ध अध्ययन विभाग ने बौद्ध अध्ययन के विश्वविख्यात विद्वान स्वर्गीय संघसेन सिंह जी की याद में शोक सभा का आयोजन किया

स्वर्गीय प्रो संघसेन सिंह जी न केवल बौद्ध अध्ययन के एक प्रमुख विद्वान थे, बल्कि पाली और बौद्ध संस्कृत में भी उन्हें महारत हासिल थी। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग में पूर्व प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। बौद्ध विद्या में अपनी विद्वता के कारण वो पूरे बौद्ध देशों और अन्य देशों में भी प्रसिद्ध थे। आज भी अगर कोई बौद्ध विद्वान विदेश जाते हैं तो उनसे वहाँ के बौद्ध विद्वानों द्वारा पहला प्रश्न यही पूछा जाता है कि आप संघसेन जी को जानते हैं, या मिले हैं की नहीं और उनका स्वास्थ्य कैसा है? यदि आप यह बताते हैं की जानते हैं या उनके शिष्य हैं तो आप की कुछ विदेशों में बढ़ जाती है। हम, जीबीयु के बौद्ध अध्ययन विभाग के शिक्षक एवं छात्र, प्रो संघसेन सिंह जी के निधन का गहरा शोक मानते हैं, जो न केवल बौद्ध अध्ययन के एक प्रसिद्ध विधान थे, बल्कि हमारे सेवानिवृत्त सहकर्मी डॉ. प्रियसेन सिंह के पिता भी थे। डॉ. प्रियसेन सिंह बौद्ध अध्ययन विभाग से जुड़े थे और वह यहां दस से अधिक वर्षों तक अपनी सेवा दी। अतः यह हमारे विभाग के लिए भी एक बढ़ी क्षति है जिसकी भरपाई कर पाना असंभव है। प्रो संघसेन जी बौद्ध अध्ययन में एक विश्व प्रसिद्ध विद्वान थे। वे भारत और विदेश में कई बौद्ध, पाली, और संस्कृत विश्वविद्यालयों के साथ संबंधित थे। उन्होंने बौद्ध अध्ययन, पाली बौद्ध धर्म, और बौद्ध संस्कृत विषयों पर कई महत्वपूर्ण कामों को अपने नाम किया, जिससे इन विषयों के व्यापक क्षेत्र अपने कार्य के लिए चर्चित थे। उनका जीबीयू के बौद्ध अध्ययन विभाग के साथ संबंध व्यापक और प्रभावी संबंध रहा। वो बौद्ध अध्ययन विभाग में एक विशेषज्ञ के रूप में समय समय पर आग्रह करने पर आते रहते थे और इस विधा को आगे ले जाने के लिए प्रेरित भी किया करते थे। उन्होंने ने कई छात्रों के पीएचडी शोध, एमए, और एमफिल डिसर्टेशन का मूल्यांकन भी किया करते थे। उन्होंने जीबीयू में कई कॉन्फ़्रेंसेस, कार्यशाला एवं सेमिनारों में प्रतिभाग ही नहीं किया अपितु उत्कृष्ट व्याख्यान भी दिए। प्रो संघसेन सिंह जी 91 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह गए, बौद्ध अध्ययन के क्षेत्र में गहरे शैक्षिक योगदान और शिक्षानुरोध की एक विरासत छोड़ गये हैं जिसे आज की पीढ़ी जो बौद्ध अध्ययन में लगी है यह उनकी ज़िम्मेदारी है उसे आगे ले जाने की। इस शोक सभा में बौद्ध अध्ययन के शिकारों एवं छात्रों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी। छात्रों में मुख्यतः वियतनाम, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस, थाईलैंड, भूटान, श्रीलंका और मंगोलिया जैसे सात देशों से थे और सभी बौद्ध भिक्षु या भिक्षुणी थी ने इस सभा में आकर उन्हें श्रद्धांजलि दी और साथ में बौद्ध मंत्रोचरण (महायान और थेरवाद) विचारधारा के आधार पर बौद्ध सूत्रों का पाठ करके श्रद्धांजलि अर्पित की। विभाग के संकाय के सदस्यों ने द्विंगत आत्मा को अपनी अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की। कुछ संकाय सदस्यों ने उनके साथ अपने संबंधों एवं साथ घटित घटनाओं की भी चर्चा की। शोक सभा में प्रॉ स्वेता आनंद, डॉ चंद्रशेखर पासवान, डॉ अरविंद कुमार सिंह, डॉ प्रियदर्सिनी मित्रा, डॉ चिंतल वेंकट सिवसई, डॉ ज्ञानदित्य शाक्य, डॉ मनीष मेश्राम, श्री विक्रम सिंह यादव, श्री कन्हया, श्री संदीप, एवं विभाग के छात्र एवं छात्राएँ उपस्थित थीं।