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भारतीय शिक्षा प्रणाली डिग्री व्यवसाय के बजाय व्यक्ति के समूल विकास पर केंद्रित : शुक्ला

विश्वविद्यालय बौद्धधर्म-दर्शन एवं मूल्यपरक शिक्षा पर केंद्रित कार्यशाला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन शिवशेखर शुक्ला ने कहा कि भारतीय शिक्षा प्रणाली डिग्री व्यवसाय के बजाय व्यक्ति के समूल विकास पर केंद्रित है। हमारे यहाँ ज्ञान और शिक्षा अलग हैं, जबकि पश्चिम मूल तत्व से दूर भोगवाद पर केन्द्रित है। श्री शुक्ला ने उधार की संस्कृति को छोड़ मूल पर जाने और सनातन परम्परा में बौद्ध धर्म के योगदान पर व्यापक काम करने का आव्हान किया। भारतीय ज्ञान प्रणाली के परिप्रेक्ष्य और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के संदर्भ में साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन द्वारा आयोजित कार्यशाला में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलगुरु प्रो वैद्यनाथ लाभ ने कहा कि 12-13वी शताब्दी के विमानन शास्त्र जैसी धरोहर को मैकाले प्रणाली ने हटा दिया। उन्होंने कहा कि बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के बाद समाज में लौटे और अपने शिष्यों को बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय का उपदेश देने भेजा। प्रो लाभ ने कहा कि बौद्ध धर्म विदेश में गया तो सनातन के चिन्ह भी साथ ले गया। जैसे श्रीलंका के मठों में गणेश की मूर्ति मिलती है जबकि थाइलैंड में सभी घरों में ब्रह्मा की मूर्ति होती है। उन्होंने आव्हान किया कि बौद्ध धर्म के उदारवादी विचार को दुनिया ने समझा और हमें भी इस दिशा में काम करने की जरुरत है।