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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में नवाचार और कौशल विकास पर राउंड टेबल चर्चा, 34 विशेषज्ञों ने साझा किए विचार

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में आज नवाचार और कौशल अंतर को पाटने" विषय पर द्वितीय गोलमेज ही का सफल आयोजन किया गया। यह विचार संगोष्ठी गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य नीति, शिक्षा और उद्योग के बीच समन्वय स्थापित कर युवाओं के कौशल विकास को गति देना था। कार्यक्रम की अध्यक्षता गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राणा प्रताप सिंह ने की, जबकि यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एम. जगदेश कुमार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। चर्चा में देशभर से आए 34 से अधिक उद्योग विशेषज्ञों, सरकारी प्रतिनिधियों और शिक्षाविदों ने हिस्सा लिया। साथ ही विश्वविद्यालय के 100 से अधिक शिक्षक भी इसमें उपस्थित रहे। चर्चा में देशभर से आए 34 से अधिक उद्योग विशेषज्ञों, सरकारी प्रतिनिधियों और शिक्षाविदों ने हिस्सा लिया। साथ ही विश्वविद्यालय के 100 से अधिक शिक्षक भी इसमें उपस्थित रहे। चर्चा को तीन प्रमुख दृष्टिकोणों- सरकारी, अकादमिक और औद्योगिक में विभाजित किया गया ताकि हर क्षेत्र की जरूरतों और सुझावों को बेहतर ढंग से समाहित किया जा सके। मुख्य अतिथि प्रो. एम. जगदेश कुमार ने कहा, "स्थायी विकास और नवाचार के लिए नीतिनिमाताओं, शिक्षा संस्थानों और उद्योगों के बीच विश्वास और संवाद अनिवार्य है।" वहीं कुलपति प्रो. राणा प्रताप सिंह ने इस चर्चा को संवाद से आगे बढ़कर "नीतिगत पहल और व्यावहारिक समाधान की दिशा में उठाया गया ठोस कदम" बताया। इस दौरान डॉ. विपिन कुमार ने नवाचार के लिए स्पष्ट तकनीकी रोडमैप की आवश्यकता जताई। शिक्षा मंत्रालय के डॉ. एस. सी. पांडे और डॉ. जितेन्द्र कुमार ने सरकारी योजनाओं की जानकारी और लाभ तक पहुंच की दिशा में जागरुकता को महत्वपूर्ण बताया। आईसीएमआर के डॉ. हरप्रीत सिंह ने स्थानीय समस्याओं के लिए जमीनी और केंद्रीकृत समाधान की बात कही, जबकि ओएचएस (वरअ) से आए प्रो. संजय मल्होत्रा और डॉ. शिवानी कुमार ने उपयुक्त टीम निर्माण पर जोर दिया। बायोटेक्नोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. विनव आर. पांडा ने "उद समाधान" - डीसी, २२ की अवधारणा साझा की, जो किसी भी जटिल समस्या के लिए एक समन्वित और प्रभावी रणनीति प्रस्तुत करती है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शक्ति सही ने प्रभावी एवं समन्वित ढंग से किया। इस विचार-विमर्श का उद्देश्य केवल चर्चा नहीं, बल्कि शिक्षा, उद्योग और शासन के बीच एक ऐसा स्थायी मंच तैयार करना है जो युवाओं के कौशल विकास और देश की नवाचार नीति को नया आयाम दे।